"सर आपको कुछ करना होगा पूरा स्टाफ कोई इज्जत नहीं देता,उस दिन superintendent को मैंने केवल इतना कहा की अपनी टीम को थोड़ा बता देना कि मेरे ऑफिस की साफ सफाई करवा देंगे, सर वो इंतना भड़क के मेरे ऊपर आया और मुझे ही ज्ञान बांटने लगा।", कुमार साहब ने गुस्से से शिकायत करते हुए अपने नए आए चीफ अधिकारी से कहा, "क्या बोला वो?",नए आए अधिकारी ने सहानभूति दिखते हुए अपने से जूनियर अधिकारी से पूछा । "बोला !, अरे सर शुक्र है उसके हाथ में गन नहीं थी, भून देता मुझे, आप पूछ रहे हैं क्या बोल"। "फिर भी बताओ तो", बॉस ने फिर से पूछा । "सर, उसने कहा ये मेरे स्टाफ का काम नहीं है, मुझे सफाईवाले को बताना पड़ेगा और बोला कि वैसे भी सुबह का टाइम PT करने का है ।" "अच्छा! इतनी हिम्मत, कुमार साहब आप चिंता मत करो 10-15 दिन रुको, मुझे एक बार सेट हो जाने दो, फिर करते हैं इलाज" ।
आज नए बॉस का अड्रेस था सभी ने हमेशा की तरह अपनी अपनी कुर्सियाँ बरामदे में निकाल राखी थीं और सभी अपनी अपनी जगहों पर बैठ चुके थे, बॉस आए, विभिन्न औपचारिक मुद्दों पर बोलने के बाद बॉस ने आदेश सुना दिया, "अभी हमारे पास जो सफाई वाला है उसके पास बहुत काम रहता है वो केवल बाहर का ही साफ सफाई देखेगा बाकी अपने अपने ऑफिसों की सफाई सभी खुद ही करेंगे, और वैसे भी हमारे प्राइम मिनिस्टर मोदीजी ने कहा हुआ है स्वच्छ भारत अभियान में सभी हिस्सा लेंगे।"
.."कैसा रहा?" एड्रैस के बाद बॉस ने चालाकी भरी नजरों से अपने से जूनियर अधिकारी से पूछा," अरे सर आप तो जीनियस हैं, अब ये सही रास्ते पर आ जाएंगे । "
"अच्छा सुनो, कल से सफाई वाले को बताना 10-15 मिनट के लिए मेरे बंगले पर चला जाएगा, मेमसाहब की तबीयत थोड़ा खराब चाल रही है"
आज 6 महीने गुजर गए लगता है मेमसाहब कौमा मे है,सफाई वाला अब दफ्तर नहीं आता ... ......... ...........
बहुत खुश था मैं, करीब एक हफ्ते तक जम्मू ट्रांसिट कैम्प के भीड़ भरे दिन निकाल कर श्रीनगर से मानसबल जा रहा था, मेरी पल्टन में । वाकई मे वह जन्नत जैस नजरा था , पर कुछ था बहुत डराने वाला, जो मैं देखना नहीं चाहता था........ ... खैर अब बहुत कुछ बदल गया है, ये तस्वीर तो अभी की है थोड़ा तसल्ली होती है, देर आए दुरस्त आए ............ ......... ....................
इसे किस्मत न कहें तो क्या कहेंगे एक साल नहीं बीता था और मैं वहाँ खड़ा था जहां कहते हैं इंदिरा गांधी अपने विवाह के उपरान्त घूमने के लिए आई थीं । भले ही उस बंगले की देखभाल करने वाला कोई न था,वुलर झील के पश्चिमी छोर पर एक पहाड़ी है जिस पर बाबा शकुरुद्दीन वली की दरगाह है और उसी पहाड़ी के साथ एक और चपटी सी पहाड़ी है जो उससे काम ऊंची है,उसी पहाड़ी की ढलान पर ये बंगाल है, पर फिर भी वह अपनी सुंदरता और मजबूती से अपने इतिहास की गवाही दे रहा था । आतांकवाद कश्मीर मे उस समय चरम पर था, ये विडंबना ही थी कि जहां प्रकृति चाहे कितने भी योवन पर हो, हवाओं में जो सन्नाटा आतंकवाद का था वो उस पर ग्रहण का बखूबी काम कर रहा था ..........................................
ईश्वर से जो मांगा मिला,............................
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